USA imposing sanction On INDIA: भारत की विदेश नीति हमेशा गुटनिरपेक्षता की रही है। हालांकि, बदलते वैश्विक समीकरणों और रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते भारत के संबंध ईरान के साथ भी प्रगाढ़ हो गए हैं। अमेरिका का आरोप है कि भारत ईरान से रूस की ड्रोन खरीद में सहायक की भूमिका निभा रहा है, जिसके कारण भविष्य में भारत पर भी अमेरिकी प्रतिबंधों की तलवार लटक सकती है। चलिए विस्तार से जानते हैं भारत पर इस अमेरिकी प्रतिबंध के बारे में और इस प्रतिबंध से भारत पर क्या असर होगा क्या भारत अपने सफर में पीछे हो जाएगा?
Table of Contents
युद्ध का बदलता स्वरूप
- क्या हैं ड्रोन और क्यों हैं युद्ध के लिए खतरनाक?
- यूक्रेन युद्ध में ड्रोन की भूमिका
- इस सम्बन्ध में अधिक जानकारी के लिए विडियो देखे
USA imposing sanction On INDIA: भारत-ईरान-अमेरिका के बीच के संबंध
देश | मौजूदा संबंध | वैश्विक समीकरण में अहमियत |
भारत | ईरान के साथ तेल व्यापार, ईरान-रूस-भारत परिवहन कॉरिडोर में भागीदार | रूस और ईरान दोनों से अच्छे संबंध, पश्चिमी देशों और चीन के बीच संतुलन बनाने में भूमिका |
ईरान | रूस को ड्रोन आपूर्ति, भारत के साथ मजबूत व्यापारिक संबंध | पश्चिमी देशों द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों से प्रभावित |
अमेरिका | भारत को चीन के प्रति संतुलन साधने के लिए अहम सहयोगी मानता है | रूस और ईरान के साथ भारत के बढ़ते सम्बन्ध अमेरिका के लिए चिंता का विषय |
भारत ईरान को दे रहा है रूस की मदद?
- अमेरिका ने भारतीय कंपनियों पर लगाए प्रतिबंध
- रूस को ईरानी ड्रोन पहुंचाने में भारत की क्या है भूमिका?
भारत, ईरान और रूस के बीच रक्षा संबंध
देश | संबंध का प्रकार | मुख्य सहयोग क्षेत्र |
---|---|---|
भारत | ईरान के साथ | रक्षा उपकरण और तकनीकी सहयोग |
भारत | रूस के साथ | सैन्य उपकरण और रणनीतिक सहयोग |
ईरान | रूस के साथ | ड्रोन और सैन्य तकनीकी निर्यात |
भारत पर प्रतिबंधों का इतिहास
- परमाणु कार्यक्रम के चलते भारत पर लगे प्रतिबंध
- भारत द्वारा अन्य देशों पर लगाए गए प्रतिबंध (उदाहरण: दक्षिण अफ्रीका पर रंगभेद के विरोध में प्रतिबंध)
भारत द्वारा झेले गए प्रमुख प्रतिबंध
वर्ष | देश/समूह | प्रतिबंध लगाने का कारण |
1974 | कनाडा, अमेरिका | पहला परमाणु परिक्षण (ऑपरेशन स्माइलिंग बुद्धा) |
1998 | अमेरिका, जापान | पोखरण में दूसरा परमाणु परीक्षण |
1992 | अमेरिका | इसरो पर प्रतिबंध (रूस से क्रायोजेनिक तकनीक हासिल करने पर) |
प्रतिबंधों से भारत पर क्या पड़ेगा असर?
- भारतीय कंपनियों पर प्रतिबंध का सीधा असर
- अमेरिका और यूरोपीय देशों द्वारा और प्रतिबंध लगाए जाने की आशंका
- भारत के ‘गुटनिरपेक्षता’ की नीति पर असर?
संभावित प्रभाव
- भारत-अमेरिका संबंध हो सकते हैं प्रभावित
- रणनीतिक सहयोग में कमी आ सकती है
- भारत की स्वतंत्र विदेश नीति के लिए चुनौती
- घरेलू तकनीकी विकास पर अधिक ध्यान देने की जरूरत
चीन को साधने के लिए भारत की जरूरत अमेरिका को
- अमेरिका ‘क्वाड’ के तहत भारत को अहम मानता है
- चीन के बढ़ते प्रभाव का मुकाबला करने में कारगर भूमिका निभा सकता है भारत
क्या है रास्ता?
- रूस-यूक्रेन युद्ध को खत्म कराने में भारत कर सकता है अहम भूमिका
- तेल आयात के लिए अन्य विकल्पों पर देना होगा ध्यान
- ईरान के साथ संबंधों में संतुलन बनाए रखना होगा भारत को
आत्मनिर्भरता ही है समाधान
- देशी तकनीक के विकास को बढ़ावा देना होगा
- विदेशी निर्भरता से मिलेगी मुक्ति
- ‘मेक इन इंडिया’ को नई गति देने की है जरूरत
Conclusions
भारत एक ऐसे मोड़ पर खड़ा है जहां भविष्य काफी अनिश्चित नजर आ रहा है। अमेरिकी प्रतिबंधों का खतरा भारत की गुटनिरपेक्षता की नीति के लिए एक चुनौती है। ऐसे में भारत को ईरान सहित अन्य राष्ट्रों के साथ संतुलित संबंध बनाने होंगे तथा आत्मनिर्भरता बढ़ाने पर फोकस महत्वपूर्ण होगा।
FAQ USA imposing sanction On INDIA
भारत ने किसी भी युद्ध में सीधे तौर पर हिस्सा नहीं लिया है और गुटनिरपेक्ष रहने की उसकी नीति रही है। भारत का मानना है कि किसी भी विवाद का समाधान शांतिपूर्ण बातचीत से हो सकता है।
भारत पर मुख्य रूप से उसके महत्वाकांक्षी परमाणु कार्यक्रम के कारण प्रतिबंध लगाए जाते हैं। भारत ने परमाणु अप्रसार संधि (NPT) पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं।
अमेरिका ने भारत पर सीधे तौर पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाए हैं। हालांकि, ईरान को ड्रोन की सप्लाई में सहायता करने के आरोप में 3 भारतीय कंपनियों पर प्रतिबंध अवश्य लगाए गए हैं।